बाह्य: outdoors peripheral adventitial exterior position
प्रयत्न: aim attempt effort endeavor stretch trial work
उदाहरण वाक्य
1.
इसी प्रकार मुख के बाहर उर, कण्ठ और शिर में बाह्य प्रयत्न कहलाते हैं।
2.
उर-कण्ठ-शिर में संयोग के लिए वर्णोपादान भूतवायु रूप अनुप्रदान का जो प्रयत्न है, बाह्य प्रयत्न कहलाता है।
3.
इसीलिए मैं कहता हूँ कि प्रेम भावना का सूक्ष्म बाह्य प्रयत्न है-व्यष्टि और समष्टि से होकर इष्ट तक आने का मार्ग।
4.
इसीलिए मैं कहता हूँ कि प्रेम भावना का सूक्ष्म बाह्य प्रयत्न है-व्यष्टि और समष्टि से होकर इष्ट तक आने का मार्ग।
5.
इनके बाह्य प्रयत्न से अ, य, र, ल, व, ड़, ज, व, ग, ज, द, ब, ड्, †ा, ण, न, म, वर्ण सिद्ध होते हैं।
6.
बाह्य प्रयत्न (उर, कण्ठ, शिरो के दो भेद हैं सवार-नाद-घोष तथा विवार-श्वास अघोष) जिस उच्चारण में मृदुता के कारण बाह्य नली को फैलने नहीं दिया जाता, वह संवार हैं।
7.
प्रक्रम स्थान (तीन), मुख स्थान (पांच), काल, बाह्य प्रयत्न और आयान्तर प्रयत्न (मुख में), इन पांच गुणों के द्वारा ही एक ‘अ' कार के द्वारा वर्ण समानाय उत्पन्न होता है।
8.
बाह्य प्रयत्न (उर, कण्ठ, शिरो के दो भेद हैं सवार-नाद-घोष तथा विवार-श्वास अघोष) जिस उच्चारण में मृदुता के कारण बाह्य नली को फैलने नहीं दिया जाता, वह संवार हैं।
9.
प्रक्रम स्थान (तीन), मुख स्थान (पांच), काल, बाह्य प्रयत्न और आयान्तर प्रयत्न (मुख में), इन पांच गुणों के द्वारा ही एक ‘ अ ' कार के द्वारा वर्ण समानाय उत्पन्न होता है।
10.
इनके बाह्य प्रयत्न से अ, य, र, ल, व, ड़, ज, व, ग, ज, द, ब, ड्, † ा, ण, न, म, वर्ण सिद्ध होते हैं।